पलवल (एकता): हरियाणा में धार्मिक स्थलों के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। यहां पर मंदिरों, गुरुद्वारों में कई रहस्य छिपे हुए हैं। लोग दूर-दराज से यहां घूमने और दर्शनों के लिए आते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताएंगे जिसका इतिहास पांडवों से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर को पंचवटी मंदिर के नाम से भी बुलाया जाता है। मीडिया सूत्रों के अनुसार अपने वनवास के दौरान पांडवों ने यहां पर काफी वक्त बिताया था। वह हनुमान जी की पूजा करते थे।
कहा जाता है कि उन्होंने जाते वक्त यहां पर हनुमान जी की मूर्ति छोड़ दी थी। खास बात यह है कि यहां एक काफी बड़ा पेड़ भी लगाया था जो आज भी मंदिर में मौजूद है। इसके साथ ही माता द्रौपदी का मंदिर भी बना हुआ है। बताया जा रहा है कि मंदिर में एक ऐसा रमणीक स्थान है, जहां लोग आकर शांति अनुभव करते हैं। मंगलवार और शनिवार को तो यहां मेले जैसा लगता है। सावन महीने में काफी लोग यहां पर आकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। वनवास के दौरान दिल्ली इंद्रप्रस्थ से पांडव वनवास के लिए चलकर आए थे।
जानकारी के मुताबिक करीब एक साल उन्होंने यहां पर समय बिताया। उसी काल से रामानंदी वैष्णव संतों द्वारा इस मंदिर की देखरेख की जाती रही और उनके बाद छबीले दास महाराज ने यहां पर तपस्या की और अपने प्रांगण यहां त्याग दिए। मंदिर के प्रांगण में भगवान शिव की 55 फुट की एक प्रतिमा बनी हुई है। इसके अलावा राधा कृष्ण मूर्ति, शनि देव की मूर्ति, खाटू श्याम मंदिर, यज्ञशाला, भगवान शंकर की शिवलिंग भी है। मंदिर में विशाल गोशाला है। जन्माष्टमी को दंगल लगता है। मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से भी लोग आते हैं। मंदिर में साफ-सफाई, बिजली-पानी का पूरा प्रबंध है।